
इंदिरा गांधी पुण्यतिथि विशेष - इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय
भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री,
भारत रत्न स्व. इंदिरा गाँधी जी की पुण्यतिथि पर शत् शत् नमन|
इंदिरा गाँधी,भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थी | इनका जन्म 19 नवम्बर 1917 में जवाहरलाल नेहरु के परिवार में हुआ | इनकी माता कमला नेहरु थी |
इनका विवाह 16मार्च 1942 को फ़िरोज़ गाँधी से हुआ | इनकी दो सन्ताने थी जिनके नाम संजय गाँधी और राजीव गाँधी थे | यह एक कुशल राजनीतिज्ञ परिवार की बेटी थी, इसलिए राजनीती में इनका रुझान निःसंदेह था | अपने कर्मो से इन्होने नेहरु परिवार का नाम रोशन किया | इन्होने बच्चो की “वानर-सेना” बनाई, जिसने भारत की स्वतन्त्रता में बहुत छोटा पर अतिमहत्वपूर्ण सहयोग दिया |
1934-35 में इन्होने प्रारम्भिक शिक्षा के पश्चात शान्ति-निकेतन में रविन्द्रनाथ टैगौर के विश्व-भारतीय विश्वविद्यालय में ज्ञान अर्जन किया, टैगौर जी ने इन्हें ‘प्रियदर्शिनी’ नाम से सम्मानित किया| 1941 में इन्दिरा स्वदेश वापस लौट आई और भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय रूप से जुड़ गई |
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी
इस वक्त देश में ‘असहयोग-आन्दोलन’ की अग्नी प्रज्वलित थी | सितम्बर 1942 में इन्हें बिना किसी आरोप के जेल डाल दिया गया | इसके बाद 13 मई 1943 को उन्हें रिहा कर दिया गया | 1947 में भारत-पकिस्तान के विभाजन के दौरान देशवासियों एवम पड़ोसी देश से आये लोगो की सेवा की यह पहला मौका था | जब इंदिरा सार्वजनिक सेवा से जुड़ी| भारत में प्रथम आम चुनाव 1951 के आस-पास हुए इस वक्त नेहरु एवम फ़िरोज़ रायबरेली के क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे जिनका प्रचार-प्रसार इंदिरा जी ने बहुत लगन से किया |
इंदिरा गाँधी कब कांग्रेस की अध्यक्ष बनी ?
1959-60 के दौरान इन्दिरा भारतीय-राष्ट्रीय-काँग्रेस की अध्यक्ष बनाई गई | 27 मई 1964 में इनके सिर से पिता का साया उठ गया, इसके बाद लालबहाद्दुर शास्त्री ने देश की कमान सम्भाली | शास्त्री जी के नेतृत्व में इंदिरा को सूचना एवम प्रसारण मंत्री बनाया गया | इस तरह उनका सरकार में प्रवेश हुआ |
हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने में इंदिरा गाँधी का योगदान
‘हिन्दी’ को राष्ट्र-भाषा बनाने के मुद्दे पर देश में मतभेद उत्पन्न हो गया, दक्षिण राज्यों के नेताओ एवम नागरिको में बहुत असंतोष उत्पन्न हो गया, ऐसी स्थिती में इंदिरा ने शांति और सामंजस्य से काम लेते हुए परिस्थिती को नियंत्रित किया | उनके इस काम से शास्त्री एवम अन्य मंत्रीगण बहुत प्रभावित हुए |
कब बनी इंदिरा गाँधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री
1966 में शास्त्री जी के आकस्मिक निधन के बाद पार्टी के अध्यक्ष ‘के.कामराज’ के सहयोग से इन्दिरा को देश की कमान सौंपी|1966 में इन्दिरा के प्रधानमन्त्री बनने के बाद वैचारिक मत-भेद के कारण पार्टी दो समूह में विभाजित हो गई | ‘समाजवादी’ का नेतृत्व इंदिरा ने सम्भाला एवम ‘रुढ़िवादी’ का नेतृत्व मोरारजी देसाई ने सम्भाला | 1967 के चुनाव में 545 सीटों में से काँग्रेस को 297 पर जीत मिली| समाजवादी एवम साम्यवादी दलो के साझे से इन्दिरा ने दो वर्षो तक शासन चलाया|
प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गाँधी की उपलब्धियाँ
- जुलाई 1969 में उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण करवाया | 1971 में बांग्लादेश के शरणार्थी के लिए उन्होंने पूर्वी-पाकिस्तान के खिलाफ़ युद्ध का मौर्चा बुलंद किया | जिसमे भारत को राजनैतिक एवम सैन्य बल के सहयोग से जीत हासिल हुई |
- इन्दिरा ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति “ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो” को “शिमला शिखर वार्ता” में आमंत्रित किया|यह वार्ता पुरे सप्ताह चली | उचित परिणाम ना निकलने के कारण एक बीच का रास्ता निकला गया एवम शिमला-समझौते पर हस्ताक्षर किये गये, इसके अनुसार दोनों देशों को कश्मीर-विवाद पर शांतिपूर्ण तरीके से व्यवहार करने के लिए बाध्य किया गया | भुट्टो ने इस सम्वेदनशील मुद्दे को बहुत संयम से नियंत्रित किया एवम व्यापार सम्बन्धो को भी सामान्य किया गया |
- सुरक्षा के मद्दे नजर एवम भारतीय ताकत को बड़ाने के लिए 1974 में राजस्थान के पोखरण में ‘स्माइलिंग बुद्धा’ के नाम से भूमिगत सफल परमाणु परिक्षण किया गया ,इस तरह इन्दिरा ने भारत को परमाणु शक्तिशाली बनाया |
- इन्दिरा ने ना केवल परमाणु-शक्ति को अपितु खाद्य विभाग को बढ़ाने का भी बहुत प्रयास किया | 1960 में आये उत्पादन में बढोत्तरी को ‘हरित-क्रांति’ का नाम मिला | इस हरित क्रांति के लिए,नई किस्म के बीज, रासायनिक जैसे ऊर्वरक, कीटनाशक एवम खरपतवार निवारको एवम वैज्ञानिक सलाह का समावेश हुआ, जिससे कई फसलो के उत्पादन में वृद्धि हुई |
- 1971 के चुनाव में पार्टी ने ‘गरीबी-हटाओ’ का नारा बुलंद किया |